कोरोना वायरस के बाद अभी अभी भारत मैं एक वायरस ने एंट्री ली है वैसे ये वायरस नही है ये एक स्पाइवेयर है जो भारत के 40 जर्नलिस्ट (पत्रकार), सुप्रीम कोर्ट के एक जज , कई सामाजिक कार्यकर्ता, और नेताओ, साइंटिस्ट, बिजनेसमैन, पर जासूसी की जा रही है। लगभग 300 से ज्यादा मोबाइल नंबरों को tap किया गया।
बस इतना समझ लो कि अगर यह स्पाइवेयर आपके फोन मैं आ गया तो आपका mic, camera, whatsapp, email, location etc मतलब सबकुछ पर जासूस की नजर होती है। और इसको फोन मैं एंट्री करने के लिए आपके फोन के दरवाजे को बजाने की जरूरत भी नही, न किसी लिंक को क्लिक करने की। इस टाइप की हैकिंग को zero click attack कहते हैं। भाईसाब इसी को तो डेंजर ऑफ साइंस कहते हैं।
बेसिकली यह स्पाइवेयर इसराइली कंपनी NSO का है। जिसे कई देशों की vetted सरकारें जासूसी के लिए इस्तेमाल करती हैं वो भी पूरी परमिशन पूरी औपचारिकताओं (formalities) के साथ, लेकिन लेकिन यह यह जो पेगासिस है ये इसका इस्तेमाल हमने I mean भारत सरकार ने बिलकुल भी नहीं किया है ऐसा उन्ही का कहना है। लेकिन इतनी महंगी टेक का इस्तेमाल आखिर किया तो किया किसने 🤔 यह सोच सोच कर सर घुमा जा रहा है मेरा
NSO का कहना है की वो यह स्पाइवेयर सिर्फ vetted govt को देता है हमारी सरकार का कहना है की इसका इस्तेमाल हमने नही किया मतलब NSO भी सोच रहा होगा की इतने अच्छे से तो हम भी अपने आप को डिफेंड नही कर पाते जितना यह अपने आप को डिफेंड कर रहे है और ITcell और मीडिया तो है ही जिंदाबाद 😂
लेकिन देश के सुप्रीम कोर्ट और कई जर्नलिस्ट पर निगरानी रखना मजाक की बात नहीं है। यह भारत की लोकतंत्रता को हैक करने जैसा है।
इस हैकिंग से जिसने हैक किया उसका बोहौत बड़ा फायदा और जिसका हैक हुआ उसका बोहत बड़ा नुकसान हुआ है। हर किसी की कोई न कोई कमजोरी होती है। जो शायद फोन से होकर जाती हो जिसका फायदा उठाया जा सकता है। जैसे की भारत के मुख्य tv पत्रकार, पत्रकार कम चाटुकार ज्यादा है। और जो चाटुकारिता नही करते बैकौफ, निष्पक्ष पत्रकारिता करते है। उनके फोन पर टैपिंग कर उनकी किसी कमजोरी को बड़ी आसानी से पता लगाकर बड़ी आसानी से ब्लैकमेल, खामोश किया जा सकता है।
NSO ये टूल सिर्फ vetted govt को देता है जिसका इस्तेमाल ह्यूमन राइट्स और देश को बचाने के लिए किया जाता है ऐसा उसका मानना है लेकिन उसके लिए भी सारे प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाता है। देखो अगर कोई देश अगर हम पर नजर रख रहा है तो यह किसी ने गलत देश से पंगा लिया है और अगर हमारे ही देश की सरकार ने यह किया है तो फिर 🤔 जवाब बिना किसी सिग्नेचर बिना किसी क्लियरेंस की तरह आता है कुछ इस प्रकार 👇
और ऐसा पहली बार हो रहा है की डेमोक्रेसी के चारो पिलर पर एक साथ हमला हुआ हैं। media, executive, judiciary, legislature
iPhone जो लॉन्च के समय पर प्राइवेसी के नाम पर उछल उछल कर अपनी सिक्योरिटी प्राइवेसी का गुणगान करता है बार बार कहता है privacy is iphone उसी के iphone भी यूं यूं चुटकियों मैं हैक हो गए तो इससे आप अंदाजा लगा सकते है की यह Pegasus कितना खतरनाक surveillance weapon है।
वैसे भी अभी नए IT नियम आ गए है तो सिक्योरिटी और प्राइवेसी का आईफोन से कुछ लेना देना है नही जो डाटा जाना है वो तो जाकर रहेगा तो यही सही समय है की अगर अपनी सिक्योरिटी की जरा भी परवाह हो तो सवाल जवाब करो और अपनी फ्रीडम ऑफ स्पीच की रक्षा करो और राइट टू प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करो नही तो इसमें तुम्हारा घाटा मेरा कुछ नही जाता और इसी के साथ bye bye Tata
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